Blood Donation Ke Naam Par Scam

ALERT! Blood donors scam exposed. Real cases se sikhe kaise bachna hai fake donors se. Emergency mein ye mistakes na kare - complete guide.
Blood Donation Ke Naam Par Scam – Janiye Kaise Hota Hai Fraud Aur Kaise Bachen

कल्पना कीजिए, आपके किसी करीबी को अचानक इमरजेंसी में खून की सख्त जरूरत पड़ जाए। आप घबरा जाते हैं, बेसब्र होकर ऑनलाइन मदद तलाशने लगते हैं। किसी वेबसाइट या एनजीओ का नंबर मिलता है, आप कॉन्टैक्ट करते हैं। वो कहते हैं – "खून मिल जाएगा, बस पहले थोड़ा-सा पैसा भेज दो।" आप बिना सोचे-समझे पैसे भेज देते हैं... और फिर? वो आपको ब्लॉक कर देते हैं। न खून मिलता है, न कोई जवाब।

यह सिर्फ एक कल्पना नहीं, बल्कि हकीकत है जो कई परिवारों के साथ हो चुकी है। इस आर्टिकल में हम रक्त दान के नाम पर होने वाले फ्रॉड के कुछ रियल केसेज के बारे में विस्तार से बात करेंगे। साथ ही, ऐसे धोखों से कैसे बचें, इसकी पूरी गाइड भी देंगे। अगर आप कभी इमरजेंसी में रक्त की तलाश कर रहे हैं, तो यह पढ़ना बेहद जरूरी है। रक्त दान धोखाधड़ी (Blood Donation Scam) आजकल सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रही है, खासकर दुर्लभ ब्लड ग्रुप्स के लिए। आइए, गहराई से समझते हैं।

तमिलनाडु का चौंकाने वाला केस: फ्रॉड ने लिया मरीज की जान

तमिलनाडु से एक ऐसा केस सामने आया जो दिल दहला देने वाला है। यहां रक्त दान के नाम पर न सिर्फ पैसे का नुकसान हुआ, बल्कि एक मरीज की मौत तक हो गई। आर. मणिकंदन नाम के एक शख्स को AB-पॉजिटिव ब्लड की तत्काल जरूरत थी। उन्होंने ऑनलाइन हेल्प मांगी। एक अजनबी ने संपर्क किया और कहा कि डोनर उपलब्ध है, लेकिन ट्रैवल खर्च के लिए 1,000 रुपये एडवांस भेज दो। मणिकंदन ने पैसे भेज दिए, लेकिन उसके बाद वो शख्स गायब हो गया – ब्लॉक कर दिया।

मरीज की हालत क्रिटिकल थी। समय पर ब्लड न मिलने से कुछ दिनों बाद उनकी मौत हो गई। यह केस सिर्फ आर्थिक नुकसान का नहीं था, बल्कि भावनात्मक आघात का भी। जब परिवार के हर सदस्य की आंखों में आंसू होते हैं और हर सेकंड कीमती होता है, तब ऐसे फ्रॉडस्टर्स समय और उम्मीद दोनों छीन लेते हैं। Source के मुताबिक, तमिलनाडु में ऐसे कई केसेज रिपोर्ट हुए हैं जहां फेक डोनर्स ने परिवारों को लूटा। पुलिस ने चेतावनी दी है कि ऐसे स्कैमर्स सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते हैं और इमोशनल ब्लैकमेल का सहारा लेते हैं।

यह घटना हमें सोचने पर मजबूर करती है – क्या हमारी हेल्पलाइन सिस्टम इतनी कमजोर है? भारत में रक्त की कमी तो पहले से ही एक बड़ी समस्या है, ऊपर से ये फ्रॉड्स इसे और जटिल बना देते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे केसेज बढ़ने की वजह कोविड के बाद हेल्थकेयर सिस्टम का कमजोर होना है।

तेलंगाना और हैदराबाद में रक्त दान फ्रॉड का जाल

कोविड महामारी के बाद जब हेल्थकेयर सिस्टम कमजोर पड़ा, तब स्कैमर्स ने मौका देख लिया। वे दुर्लभ ब्लड ग्रुप्स जैसे B-, AB-, B+ का बहाना बनाकर लोगों को टारगेट करने लगे। तेलंगाना और हैदराबाद में ऐसे कई केसेज सामने आए जहां परिवारों ने सोशल मीडिया पर मदद मांगी, लेकिन बदले में मिला सिर्फ धोखा।

हैदराबाद फ्रॉड (दिसंबर 2023): सोशल मीडिया का शिकार

हैदराबाद में दुर्लभ ब्लड ग्रुप के लिए इमरजेंसी डोनर्स की तलाश करने वाले कई लोगों को झटका लगा। स्कैमर्स ने फेसबुक, व्हाट्सएप और अन्य प्लेटफॉर्म्स पर ब्लड रिक्वेस्ट पोस्ट्स को स्कैन किया। वे फेक प्रोफाइल्स बनाकर डायरेक्ट मैसेज भेजते: "हमारे पास डोनर है, लेकिन ट्रैवल के लिए थोड़े पैसे भेजो।" विक्टिम्स ने UPI, PhonePe या Google Pay से 1,600 से 5,000 रुपये तक ट्रांसफर किए। पैसे मिलते ही स्कैमर ब्लॉक हो गए – न डोनर आया, न कोई जवाब।

पुलिस रिपोर्ट्स के अनुसार, ऐसे फ्रॉड्स में स्कैमर्स ग्रुप्स में घुसपैठ करते हैं और रियल मेंबर्स की तरह व्यवहार करते हैं। इससे ट्रस्ट बनाना आसान हो जाता है। हैदराबाद पुलिस ने सलाह दी है कि हमेशा वेरिफाइड चैनल्स का इस्तेमाल करें।

केस 1: साक्षी का AB-नेगेटिव ब्लड फ्रॉड (करिमनगर)

करिमनगर की साक्षी को अपने रिश्तेदार के लिए AB-नेगेटिव ब्लड की सख्त जरूरत थी। एक शख्स ने कॉन्टैक्ट किया और कहा, "डोनर रेडी है, लेकिन ट्रैवल के 700 रुपये और खाने के 200 रुपये भेज दो।" साक्षी ने बिना हिचक 900 रुपये भेज दिए। लेकिन डोनर आया ही नहीं – ब्लॉक कर दिया। न कोई कॉन्टैक्ट, न मदद। पुलिस ने बताया कि यह एक पुराना स्कैम है जो पूरे तेलंगाना में फैला हुआ है। Source

साक्षी का परिवार आज भी उस सदमे से उबर नहीं पाया। उन्होंने उधार लेकर पैसे जुटाए थे, लेकिन सब व्यर्थ। यह केस बताता है कि कैसे स्कैमर्स छोटी-छोटी रकम मांगकर बड़े नुकसान पहुंचाते हैं।

केस 2: डायलिसिस पेशेंट की फैमिली का दर्द

एक परिवार को डायलिसिस के लिए ब्लड चाहिए था। उन्होंने 1,500 रुपये उधार लिए और "डोनर" को भेज दिए। लेकिन वो ब्लॉक हो गया और गायब। ब्लड समय पर न मिलने से मरीज की कंडीशन और बिगड़ गई। परिवार ने बताया कि वे रात-दिन प्रार्थना कर रहे थे, लेकिन फ्रॉड ने सब उम्मीदें तोड़ दीं। ऐसे केसेज में अक्सर गरीब परिवार टारगेट होते हैं जो इमोशनल प्रेशर में आकर कुछ भी कर जाते हैं।

तेलंगाना में 2023-24 में ऐसे 50 से ज्यादा केसेज दर्ज हुए। स्कैमर्स का नेटवर्क ऑर्गनाइज्ड लगता है – वे एक-दूसरे को टिप्स शेयर करते हैं।

रक्त दान फ्रॉड क्यों होता है? गहराई से समझें

रक्त दान के नाम पर फ्रॉड की जड़ें गहरी हैं। आइए, स्टेप बाय स्टेप देखें कि ये कैसे काम करता है और क्यों सफल होता है।

  1. सोशल मीडिया पर पर्सनल डिटेल्स शेयर करना
    इमरजेंसी में लोग फेसबुक, व्हाट्सएप, ट्विटर (X) या इंस्टाग्राम पर मदद मांगते हैं। वे फोन नंबर, मरीज का नाम, ब्लड ग्रुप, हॉस्पिटल का पता सब पब्लिक कर देते हैं।
    स्कैमर्स इसी इंफॉर्मेशन का फायदा उठाते हैं। वे डायरेक्ट कॉन्टैक्ट करते हैं, ट्रस्ट बिल्ड करते हैं और पैसे मांग लेते हैं। उदाहरण के लिए, एक पोस्ट देखकर वे कहते हैं, "मैं पास ही रहता हूं, बस थोड़ा एडवांस चाहिए।" इससे विक्टिम्स फंस जाते हैं। सलाह: हमेशा प्राइवेट ग्रुप्स या वेरिफाइड पेजेस यूज करें।

  2. फेक डोनर्स व्हाट्सएप और टेलीग्राम ग्रुप्स में घुसपैठ करते हैं
    भारत में हजारों ब्लड रिक्वेस्ट ग्रुप्स हैं जहां रियल हेल्पर्स जुड़े होते हैं। स्कैमर्स इनमें शामिल हो जाते हैं। जब कोई इमरजेंसी पोस्ट आती है, वे तुरंत रिप्लाई करते: "मेरा कजिन AB- का डोनर है, मैं भेज रहा हूं। सिर्फ ट्रैवल चार्ज भेज दो।"
    वे रियल मेंबर्स की तरह बात करते हैं, पुरानी पोस्ट्स का हवाला देते हैं। इससे शक कम होता है। रियलिटी चेक: असली डोनर्स कभी पैसे नहीं मांगते।

  3. दुर्लभ ब्लड ग्रुप का बहाना बनाकर यूर्जेंसी क्रिएट करना
    स्कैमर्स AB-, B-, O- जैसे रेयर ग्रुप्स को टारगेट करते हैं क्योंकि ये आसानी से अवेलेबल नहीं होते। वे कहते: "यह ग्रुप रेयर है, बहुत मुश्किल से अरेंज किया। मेरे आदमी को तुरंत भेजना है, थोड़ा ट्रैवल अमाउंट भेज दो।"
    इससे फैमिली प्रेशर में आ जाती है। फैक्ट: भारत में रेयर ग्रुप्स के लिए गवर्नमेंट ब्लड बैंक्स हैं, लेकिन अवेयरनेस कम है।

  4. कोई आइडेंटिटी प्रूफ न देना – बड़ा रेड फ्लैग
    जेनुइन डोनर्स या एनजीओ अपना ID, ब्लड बैंक सर्टिफिकेट या ऑथराइज्ड ऑर्गनाइजेशन का नाम देते हैं।
    स्कैमर्स सिर्फ कॉल या व्हाट्सएप पर बात करते, ID मांगने पर इग्नोर करते या फेक डॉक्यूमेंट्स भेजते। हमेशा वेरिफिकेशन डिमांड करें – आधार, ड्राइविंग लाइसेंस या हॉस्पिटल रेफरल।

  5. एडवांस पेमेंट मांगना – सबसे बड़ा खतरा!
    रियल ब्लड डोनेशन कभी पैसे के बदले नहीं होता। अगर कोई "पेट्रोल भरना है", "बस पकड़नी है" या "खाना खिलाना है" कहकर पैसे मांगे, तो समझ लें स्कैम है।
    कोई रजिस्टर्ड एनजीओ या हॉस्पिटल पहले पेमेंट नहीं लेगा। लॉ के मुताबिक, ब्लड डोनेशन फ्री है। स्कैमर्स UPI ऐप्स का यूज करते हैं ताकि ट्रेसिंग मुश्किल हो।

ये सभी रेड फ्लैग्स हैं। रक्त दान फ्रॉड से बचने के लिए अलर्ट रहें। अगर शक हो, तो लोकल ब्लड बैंक से कन्फर्म करें।

रक्त दान फ्रॉड से कैसे बचें? प्रैक्टिकल टिप्स

अब बात करते हैं बचाव की। फ्रॉड से 100% बचना मुश्किल है, लेकिन ये स्टेप्स फॉलो करें तो रिस्क कम हो जाएगा:

  • वेरिफाइड सोर्स यूज करें: इंडियन रेड क्रॉस, रोटरी क्लब या गवर्नमेंट ब्लड बैंक्स से संपर्क करें। ऐप्स जैसे BloodConnect या iBloodDonors यूज करें।
  • नो एडवांस पेमेंट: कभी पैसे न भेजें। असली डोनर्स खुद खर्चा उठाते हैं या एनजीओ हैंडल करता है।
  • डिटेल्स प्राइवेट रखें: सोशल मीडिया पर फोन नंबर न शेयर करें। प्राइवेट मैसेज में ही डिस्कस करें।
  • वेरिफिकेशन: डोनर से ID और मेडिकल सर्टिफिकेट मांगें। हॉस्पिटल स्टाफ से चेक करवाएं।
  • रिपोर्ट करें: फ्रॉड हो जाए तो साइबर क्राइम पोर्टल पर कंप्लेंट करें। 1930 हेल्पलाइन यूज करें।

भारत सरकार ने रक्त दान को प्रमोट करने के लिए कई कैंपेन चलाए हैं, लेकिन अवेयरनेस बढ़ानी होगी। रेयर ब्लड ग्रुप्स के लिए नेशनल ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल से हेल्प लें।

रक्त दान फ्रॉड से जुड़े 10 सबसे जरूरी सवाल और जवाब

रक्त दान के नाम पर फ्रॉड क्या है?

रक्त दान के नाम पर फ्रॉड एक धोखाधड़ी है जिसमें स्कैमर्स सोशल मीडिया या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर रक्त दान का वादा करते हैं, लेकिन बदले में एडवांस पेमेंट मांगते हैं। पैसे मिलने के बाद वे ब्लॉक कर देते हैं और न तो ब्लड मिलता है और न ही कोई जवाब। यह विशेष रूप से दुर्लभ ब्लड ग्रुप्स के लिए इमरजेंसी में लोगों को टारगेट करता है।

रक्त दान फ्रॉड से सबसे ज्यादा कौन प्रभावित होता है?

ऐसे फ्रॉड्स का शिकार अक्सर वे लोग होते हैं जो इमरजेंसी में रक्त की तलाश में होते हैं, खासकर जिन्हें दुर्लभ ब्लड ग्रुप्स जैसे AB-, B-, O- की जरूरत होती है। गरीब परिवार, जो उधार लेकर पैसे भेजते हैं, और कम डिजिटल जागरूकता वाले लोग इनका आसान शिकार बनते हैं।

रक्त दान फ्रॉड का सबसे आम तरीका क्या है?

स्कैमर्स सोशल मीडिया पर ब्लड रिक्वेस्ट पोस्ट्स देखकर डायरेक्ट कॉन्टैक्ट करते हैं। वे फेक प्रोफाइल्स बनाकर दावा करते हैं कि उनके पास डोनर है, लेकिन ट्रैवल, खाने या अन्य खर्चों के लिए एडवांस पेमेंट मांगते हैं। पैसे मिलते ही वे ब्लॉक कर देते हैं।

रक्त दान फ्रॉड से बचने के लिए क्या करें?

कभी भी अनजान व्यक्ति को एडवांस पेमेंट न करें। हमेशा वेरिफाइड ब्लड बैंक्स, जैसे इंडियन रेड क्रॉस या गवर्नमेंट हॉस्पिटल्स से संपर्क करें। डोनर की ID और मेडिकल सर्टिफिकेट चेक करें। सोशल मीडिया पर पर्सनल डिटेल्स शेयर करने से बचें।

क्या रक्त दान के लिए पैसे देना वैध है?

नहीं, भारत में रक्त दान पूरी तरह मुफ्त है। कोई भी रजिस्टर्ड ब्लड बैंक, एनजीओ या हॉस्पिटल रक्त दान के लिए पैसे नहीं मांग सकता। अगर कोई पेमेंट की मांग करता है, तो यह स्कैम हो सकता है।

रक्त दान फ्रॉड की शिकायत कहां करें?

अगर आप फ्रॉड का शिकार हो जाते हैं, तो तुरंत साइबर क्राइम पोर्टल पर शिकायत दर्ज करें या 1930 हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करें। लोकल पुलिस स्टेशन में भी FIR दर्ज कर सकते हैं।

दुर्लभ ब्लड ग्रुप्स के लिए सुरक्षित ब्लड कैसे प्राप्त करें?

दुर्लभ ब्लड ग्रुप्स जैसे AB-, B-, O- के लिए नेशनल ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल, इंडियन रेड क्रॉस या रजिस्टर्ड ब्लड बैंक्स से संपर्क करें। ऐप्स जैसे BloodConnect या iBloodDonors भी सुरक्षित हैं। हमेशा हॉस्पिटल के जरिए डोनर वेरिफाई करें।

सोशल मीडिया पर ब्लड रिक्वेस्ट डालते समय क्या सावधानी बरतें?

सोशल मीडिया पर फोन नंबर, मरीज का नाम या हॉस्पिटल डिटेल्स पब्लिकली शेयर न करें। प्राइवेट मैसेज में डिस्कस करें। केवल वेरिफाइड ग्रुप्स या पेजेस पर पोस्ट करें। डोनर से बात करने से पहले उनकी विश्वसनीयता चेक करें।

रक्त दान फ्रॉड में स्कैमर्स कैसे विश्वास जीतते हैं?

स्कैमर्स रियल मेंबर्स की तरह व्यवहार करते हैं, पुरानी पोस्ट्स का हवाला देते हैं, और इमरजेंसी का फायदा उठाकर जल्दी पेमेंट की डिमांड करते हैं। वे छोटी रकम (500-2,000 रुपये) मांगते हैं ताकि लोग आसानी से भेज दें।

क्या रक्त दान फ्रॉड को रोकने के लिए कोई सरकारी पहल है?

हां, भारत सरकार ने रक्त दान को बढ़ावा देने के लिए कई कैंपेन शुरू किए हैं, जैसे नेशनल ब्लड डोनेशन डे। नेशनल ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल रक्त की उपलब्धता सुनिश्चित करता है। साइबर क्राइम पोर्टल और 1930 हेल्पलाइन भी फ्रॉड रोकने में मदद करते हैं।

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निष्कर्ष: सावधानी ही सुरक्षा है

तमिलनाडु से तेलंगाना तक, रक्त दान के नाम पर फ्रॉड के कई केसेज सामने आए हैं। कॉमन पैटर्न है: रेयर ब्लड ग्रुप, ट्रैवल चार्ज का बहाना और ब्लॉक करना। ये न सिर्फ पैसे लूटते हैं, बल्कि जिंदगियां खतरे में डालते हैं।

अगर आपको या किसी को ब्लड की जरूरत हो, तो सिर्फ वेरिफाइड ब्लड बैंक्स या जेनुइन एनजीओ से ही संपर्क करें। अनजान व्यक्ति को कभी एडवांस पैसे न भेजें। फ्रॉड का शिकार हो जाएं तो तुरंत साइबर सेल या पुलिस (112) में शिकायत दर्ज करें। रक्त दान एक नेक काम है, लेकिन धोखेबाजों से सतर्क रहें। जागरूकता फैलाएं, ताकि कोई और परिवार इस दर्द से न गुजरे।

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4 comments

  1. Imraan Qureshi
    You guy's doing a very good job, keep it up ❤️🙌🏻
    1. HelpSeva
      HelpSeva
      Thanks 🙏🏻🥰
  2. Amaira Singh
    Good work 👍🏻❤️
    1. HelpSeva
      HelpSeva
      Thanks 🙏🏻
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