Donation Scam के Real Cases जो जान ले गए – HelpSeva Report

India में fake donation posts की वजह से 25+ मौतें हुई हैं। जानिए वो सच्ची कहानियाँ जहाँ मदद देर से पहुँची – और कैसे आप बच सकते हैं।
Donation Scam की वजह से गई हज़ारों ज़िंदगियाँ – HelpSeva Awareness Image

क्या आप जानते हैं कि भारत में हर महीने सैकड़ों नकली डोनेशन पेज बनाए जाते हैं? ये स्कैम न केवल लोगों के पैसे चुराते हैं, बल्कि जरूरतमंदों की जिंदगी भी खतरे में डाल देते हैं। ऑनलाइन डोनेशन स्कैम एक गंभीर समस्या है, जो न केवल आर्थिक नुकसान पहुंचाती है, बल्कि कई बार जिंदगी और मौत का सवाल बन जाती है। इस लेख में हम आपको भारत में हुए कुछ दिल दहलाने वाले डोनेशन स्कैम के मामलों के बारे में बताएंगे, जो यह साबित करते हैं कि सतर्कता ही बचाव है। साथ ही, हम आपको कुछ जरूरी टिप्स भी देंगे, जिनसे आप इन स्कैम्स से बच सकते हैं।

भारत में Donation Scam के चौंकाने वाले आंकड़े

📊 Donation Scam के आंकड़े जो आपको हैरान कर देंगे

₹75+ करोड़

2022-2024 में फर्जी डोनेशन्स में गायब

350+ केस

मेडिकल इमरजेंसी में देरी

25+ मौतें

देरी से इलाज की वजह से

1000+ शिकार

फर्जी डोनेशन के शिकार

ये आंकड़े सिर्फ नंबर नहीं, बल्कि उन परिवारों की कहानियां हैं, जिन्होंने अपनों को खोया। आइए, कुछ ऐसे मामलों पर नजर डालते हैं, जो हमें सतर्क होने की जरूरत बताते हैं।

दिल दहलाने वाले Donation Scam के मामले

1. अंजलि श्रीवास्तव: एक मासूम की खोई जिंदगी (लखनऊ, 2022)

7 साल की अंजलि श्रीवास्तव को लिवर ट्रांसप्लांट की सख्त जरूरत थी। उसके माता-पिता ने सोशल मीडिया पर मदद की गुहार लगाई। शुरुआत में स्थानीय लोगों ने दिल खोलकर दान दिया, लेकिन जल्द ही स्कैमर्स ने मौके का फायदा उठाया। उन्होंने अंजलि की तस्वीरों का इस्तेमाल कर नकली फंडरेजर पेज बनाए और लोगों से पैसे वसूलने शुरू कर दिए।
क्या हुआ नतीजा?

फर्जी पेजों की वजह से असली फंडरेजर तक पर्याप्त पैसे नहीं पहुंचे। ऑपरेशन में देरी हुई और मासूम अंजलि अस्पताल में ट्रांसप्लांट का इंतजार करते-करते दुनिया छोड़ गई। एक फर्जी पेज ने एक बच्ची की जिंदगी छीन ली।

सीख:

सोशल मीडिया पर हर फंडरेजर पर भरोसा करने से पहले उसकी सत्यता जांचें।

2. बेबी आरव: विश्वास का दुरुपयोग (मुंबई, 2021-22)

छोटे आरव को स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी (SMA) नाम की एक दुर्लभ बीमारी थी। इसके इलाज के लिए ₹16 करोड़ की Zolgensma इंजेक्शन की जरूरत थी। आरव के परिवार ने क्राउडफंडिंग शुरू की, लेकिन स्कैमर्स ने उनकी तस्वीरों का गलत इस्तेमाल कर फर्जी UPI IDs के जरिए लाखों रुपये इकट्ठा कर लिए।
क्या हुआ नतीजा?

लोगों का भरोसा टूटने की वजह से असली फंडरेजर को पर्याप्त फंडिंग नहीं मिली। परिवार को बार-बार वीडियो बनाकर यह साबित करना पड़ा कि वे असली हैं। इस देरी ने आरव के इलाज को और मुश्किल बना दिया।

सीख:

फर्जी फंडरेजर असली जरूरतमंदों के लिए मुसीबत बन सकते हैं। हमेशा सत्यापित स्रोतों से ही दान करें।

3. फैजान: समय के साथ हारी जिंदगी (भोपाल, 2023)

19 साल के फैजान की किडनी फेल हो गई थी। उनके दोस्तों ने क्राउडफंडिंग शुरू की, लेकिन स्कैमर्स ने उनकी तस्वीरों का इस्तेमाल कर फर्जी पेज बनाए। लोगों ने इन फर्जी पेजों पर दान देना शुरू कर दिया, जिससे असली फंडरेजर को नुकसान हुआ।
क्या हुआ नतीजा?

जब तक असली फंडरेजर तक पैसे पहुंचे, फैजान की हालत गंभीर हो चुकी थी। आखिरी मिनट में ₹1 लाख की कमी के कारण समय पर डायलिसिस नहीं हो सका, और फैजान की जिंदगी खतरे में पड़ गई।

सीख:

मेडिकल इमरजेंसी में हर पल कीमती है। फर्जी डोनेशन पेज समय और जिंदगी दोनों छीन सकते हैं।

4. Dog Shelter Scam: बेजुबानों का ठिकाना छिना (दिल्ली, 2022)

एक वायरल वीडियो में एक घायल कुत्ते को बचाते दिखाया गया। यह वीडियो एक असली शेल्टर का था, लेकिन स्कैमर्स ने इसे कॉपी कर फर्जी डोनेशन पेज बनाए। पशु प्रेमियों ने भावनाओं में बहकर लाखों रुपये दान किए।
क्या हुआ नतीजा?

असली शेल्टर को कोई फंड नहीं मिला, जिसके कारण वह बंद होने की कगार पर पहुंच गया। सैकड़ों बेजुबान जानवरों का आश्रय खतरे में पड़ गया।

सीख:

फर्जी डोनेशन सिर्फ इंसानों को ही नहीं, बल्कि बेजुबान जानवरों को भी प्रभावित करते हैं।

5. वेदिका शिंदे: मौत के बाद भी चली फंडरेजिंग (2021)

8 महीने की वेदिका शिंदे को स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी (SMA) था, और इसके लिए ₹16 करोड़ की जीन थेरेपी (Zolgensma) की जरूरत थी। क्राउडफंडिंग शुरू हुई और इलाज भी हुआ, लेकिन दुखद रूप से 1 अगस्त 2021 को वेदिका की मृत्यु हो गई। इसके बावजूद, कुछ प्लेटफॉर्म्स और अभियानों के जरिए फंडरेजिंग जारी रही।
क्या हुआ नतीजा?

लोगों ने अनजाने में दान देना जारी रखा, जो किसी और जरूरतमंद तक पहुंच सकता था। यह भरोसे के साथ खिलवाड़ था।

सीख:

क्राउडफंडिंग एक जिम्मेदारी है। फंडरेजर को समय पर बंद करना जरूरी है ताकि दानदाताओं का पैसा सही जगह पहुंचे।

Donation Scam से कैसे बचें?

सुरक्षित दान के लिए जरूरी टिप्स

🔍 सत्यापन करें: हमेशा आधिकारिक पेज या सत्यापित अकाउंट्स से ही दान करें। सोशल मीडिया पर दिखने वाले हर लिंक पर भरोसा न करें।
📞 सीधा संपर्क: यदि संभव हो, तो परिवार या अस्पताल से सीधे संपर्क करें और स्थिति की पुष्टि करें।
🏥 अस्पताल की पुष्टि: मेडिकल केस में अस्पताल के आधिकारिक बयान या बिल की जांच करें।
📱 एक से अधिक स्रोत: अगर एक ही केस के कई पेज दिखें, तो सतर्क हो जाएं और सही स्रोत की तलाश करें।
💳 सुरक्षित भुगतान: केवल सुरक्षित पेमेंट गेटवे का उपयोग करें। व्यक्तिगत खातों में सीधे पैसे ट्रांसफर करने से बचें।
📄 दस्तावेज मांगें: मेडिकल रिपोर्ट्स, अस्पताल के बिल या अन्य दस्तावेजों की कॉपी मांगें और उनकी सत्यता जांचें।
डोनेशन स्कैम क्या है?

डोनेशन स्कैम एक धोखाधड़ी है जिसमें स्कैमर फर्जी कहानियों या तस्वीरों का इस्तेमाल करके लोगों से पैसे इकट्ठा करते हैं, खासकर मेडिकल इमरजेंसी या चैरिटी के नाम पर।

भारत में डोनेशन स्कैम इतने आम क्यों हैं?

भारत में सोशल मीडिया और क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म्स की बढ़ती लोकप्रियता ने स्कैमर्स को फर्जी पेज बनाने और लोगों की भावनाओं का फायदा उठाने का मौका दिया है।

मैं कैसे पता करूं कि डोनेशन पेज असली है या नकली?

हमेशा पेज की सत्यता जांचें, अस्पताल या परिवार से सीधे संपर्क करें, मेडिकल दस्तावेज मांगें, और सुरक्षित पेमेंट गेटवे का उपयोग करें।

फर्जी डोनेशन पेज की पहचान कैसे करें?

फर्जी पेज में अक्सर अपूर्ण जानकारी, गलत UPI IDs, या एक ही केस के कई पेज होते हैं। अगर कुछ संदिग्ध लगे, तो तुरंत सत्यापित करें।

मेडिकल क्राउडफंडिंग में सावधानी कैसे बरतें?

अस्पताल के बिल, मेडिकल रिपोर्ट्स, और आधिकारिक सोर्स की जांच करें। व्यक्तिगत खातों में पैसे ट्रांसफर करने से बचें।

क्या सोशल मीडिया पर डोनेशन मांगने वाले सभी पेज फर्जी होते हैं?

नहीं, सभी पेज फर्जी नहीं होते, लेकिन सतर्कता जरूरी है। केवल सत्यापित और विश्वसनीय स्रोतों से ही दान करें।

डोनेशन स्कैम का शिकार होने पर क्या करें?

तुरंत पुलिस में शिकायत दर्ज करें, साइबर क्राइम सेल से संपर्क करें, और अपने बैंक को सूचित करें ताकि ट्रांजेक्शन रोका जा सके।

क्या क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म्स स्कैम को रोक सकते हैं?

हां, प्लेटफॉर्म्स जैसे Ketto और Milaap सत्यापन प्रक्रिया अपनाते हैं, लेकिन दानदाताओं को भी सतर्क रहना चाहिए।

पशु कल्याण के लिए डोनेशन में सावधानी कैसे बरतें?

शेल्टर या संगठन की आधिकारिक वेबसाइट और रजिस्ट्रेशन की जांच करें। सीधे उनके ऑफिशियल अकाउंट में दान करें।

डोनेशन स्कैम से बचने के लिए सबसे जरूरी टिप क्या है?

सबसे जरूरी है हर दान से पहले सत्यापन। बिना जांच के किसी भी लिंक या UPI ID पर पैसे न भेजें।

निष्कर्ष: सतर्कता से बचाएं जिंदगियां

ये सभी मामले हमें सिखाते हैं कि ऑनलाइन डोनेशन में सावधानी बरतना बेहद जरूरी है। एक छोटी सी लापरवाही किसी की जिंदगी को खतरे में डाल सकती है। चाहे इंसान हो या बेजुबान जानवर, फर्जी डोनेशन पेज हर किसी को नुकसान पहुंचाते हैं। इसलिए, जब भी आप दान करें, पहले पूरी तरह सत्यापित करें कि आपका पैसा सही जगह पहुंच रहा है।

🤝 आपका एक शेयर किसी की जान बचा सकता है

इस लेख को अपने दोस्तों और परिवार के साथ शेयर करें। आपकी जागरूकता किसी को फर्जी डोनेशन स्कैम से बचा सकती है और सही जरूरतमंद तक मदद पहुंचा सकती है।

“दान करना नेक काम है, लेकिन सही जगह दान करन बोहत ज़रूरी है”

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